चंडीगढ़ | 3 मई 2025 — पंजाब और हरियाणा के बीच दशकों पुराना जल विवाद एक बार फिर गहरा गया है। हरियाणा द्वारा भाखड़ा-ब्यास प्रबंधन बोर्ड (BBMB) से अतिरिक्त 8500 क्यूसेक पानी की मांग के बाद मामला गरमा गया है। पंजाब ने इस मांग का कड़ा विरोध किया है, वहीं हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने आज सर्वदलीय बैठक बुलाई है ताकि राज्य का पक्ष मजबूती से रखा जा सके।
क्या है विवाद?
भाखड़ा और नांगल बांधों से हर साल जल वितरण का कोटा तय होता है। इस वर्ष हरियाणा को 2.987 मिलियन एकड़ फुट पानी आवंटित किया गया था, लेकिन उसने पहले ही 3.110 मिलियन एकड़ फुट पानी ले लिया है। अब वह 8500 क्यूसेक अतिरिक्त पानी की मांग कर रहा है, जबकि फिलहाल उसे रोज़ाना 4000 क्यूसेक मिल रहा है।
पंजाब का तर्क है कि बर्फबारी में कमी के चलते पोंग और रंजीत सागर बांधों में जलस्तर औसत से कम है। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि पंजाब पहले से ही जल संकट से जूझ रहा है और “पानी की एक बूंद भी अतिरिक्त देने की स्थिति में नहीं है।”
केंद्र की बैठक और राज्यों की स्थिति
केंद्रीय गृह मंत्रालय की अध्यक्षता में हुई उच्चस्तरीय बैठक में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल और दिल्ली के अधिकारी शामिल हुए। बीबीएमबी की बैठक में हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली ने हरियाणा के पक्ष में मतदान किया, जबकि पंजाब अकेला पड़ गया। हिमाचल ने वोटिंग से दूरी बनाए रखी।
सुरक्षा बढ़ी, कोर्ट का रुख संभव
पंजाब सरकार ने नांगल बांध की सुरक्षा बढ़ा दी है और संकेत दिए हैं कि वह अदालत का रुख कर सकती है। सूत्रों के अनुसार, पंजाब कानूनी सलाह ले रहा है ताकि अतिरिक्त पानी छोड़ने के आदेश को चुनौती दी जा सके।
आगे क्या हैं विकल्प?
- केंद्रीय हस्तक्षेप: प्रधानमंत्री कार्यालय या जल शक्ति मंत्रालय इस मामले में हस्तक्षेप कर सकता है और एक समाधान निकाल सकता है।
- न्यायिक रास्ता: पंजाब उच्च न्यायालय या सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर सकता है।
- राज्यों के बीच संवाद: दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री बैठक कर किसी मध्य रास्ते पर सहमति बना सकते हैं।
- जल विशेषज्ञों की भूमिका: विशेषज्ञों की एक समिति बनाकर वैज्ञानिक तरीके से जल आवंटन की समीक्षा की जा सकती है।