चंडीगढ़, 03अप्रैल: हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने शनिवार को चंडीगढ़ में एक महत्वपूर्ण सर्वदलीय बैठक का आयोजन किया, जिसमें पंजाब के भाखड़ा नहर में पानी रोकने को लेकर गंभीर चर्चा हुई। इस बैठक में हरियाणा के विभिन्न दलों के नेताओं ने भाग लिया, जिसमें कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा, जजपा नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला, इनेलो अध्यक्ष रामपाल माजरा और अन्य कई कैबिनेट मंत्री शामिल थे। इसके साथ ही, बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बडौली, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष उदयभान और आम आदमी पार्टी से सुशील गुप्ता भी बैठक का हिस्सा बने।
हरियाणा और पंजाब के बीच बढ़ता विवाद
सर्वदलीय बैठक के बाद सीएम नायब सिंह सैनी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि राज्य के सभी दल इस जल विवाद पर एकजुट हैं और पंजाब के साथ हर स्तर पर संघर्ष करने का मन बना चुके हैं। उन्होंने कहा कि इस जल विवाद का समाधान केवल बातचीत और कानूनी प्रक्रिया के माध्यम से ही निकाला जा सकता है, और उन्होंने पंजाब सरकार से अपील की कि वह बीबीएमबी के फैसले को बिना शर्त लागू करे।
सीएम सैनी ने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान पर निशाना साधते हुए कहा, “भगवंत मान असंवैधानिक काम कर रहे हैं। यह पानी केवल पंजाब का नहीं है, बल्कि यह पूरे देश का है। हिमाचल के पहाड़ों से यह पानी आता है और यह सभी राज्यों का साझा है।” उन्होंने आगे कहा, “बीबीएमबी किसी के साथ भेदभाव नहीं करता, लेकिन पंजाब ने हरियाणा को उसका पूरा पानी देने में कसरत की है।”
“दिल्ली की जनता से बदला ले रही AAP”
सीएम सैनी ने यह भी कहा कि आम आदमी पार्टी दिल्ली की जनता से बदला लेने के लिए हरियाणा को प्रताड़ित कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि जब तक दिल्ली में आप की सरकार थी, तब तक पानी की कोई समस्या नहीं थी, लेकिन अब दिल्ली के मुद्दों का असर हरियाणा पर पड़ रहा है।
हरियाणा के पानी की स्थिति
हरियाणा के कई जिलों में पीने के पानी की गंभीर कमी हो रही है। सीएम ने कहा कि पंजाब सरकार ने हरियाणा के पीने के पानी को पूरी तरह से रोक दिया है, जिससे राज्य के लोग संकट में हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि हरियाणा ने अपने हिस्से से ज्यादा पानी नहीं मांगा है, बल्कि बीबीएमबी द्वारा निर्धारित कोटा का ही पालन किया जा रहा है।
हरियाणा की रणनीति
सीएम नायब सिंह सैनी ने यह भी कहा कि अगर पंजाब सरकार ने बीबीएमबी के फैसले को लागू नहीं किया, तो हरियाणा सरकार इसके खिलाफ संवैधानिक कदम उठाएगी। उन्होंने कहा, “हम हर स्तर पर लड़ाई लड़ेंगे और इस मुद्दे पर किसी भी प्रकार का समझौता नहीं करेंगे।”
उन्होंने यह भी कहा कि आगामी बीबीएमबी की बैठक और पंजाब सरकार के विशेष सत्र का इंतजार किया जाएगा, और उसके बाद ही भविष्य के कदम तय किए जाएंगे।
इस मुद्दे का राष्ट्रीय असर
हरियाणा और पंजाब के बीच बढ़ते जल विवाद ने न केवल इन दोनों राज्यों के रिश्तों को प्रभावित किया है, बल्कि इसका असर पूरे देश के संघीय ढांचे और राज्यों के बीच जल बंटवारे पर भी पड़ सकता है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा के पक्ष में फैसला दिया था, लेकिन पंजाब इस फैसले को मानने को तैयार नहीं है। अब देखना यह है कि राज्य सरकारें किस रास्ते पर चलती हैं और यह विवाद किस दिशा में आगे बढ़ता है।