Saturday , 24 May 2025
ट्रंप के फैसले पर राघव चड्ढा का तीखा प्रहार

ट्रंप के फैसले पर राघव चड्ढा का तीखा प्रहार: ‘हार्वर्ड के छात्रों के सपने और भविष्य पर मंडरा रहा है खतरा’

नई दिल्ली | 24 मई 2025 : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की विदेशी छात्रों को दाखिला देने की पात्रता रद्द किए जाने के फैसले ने दुनियाभर के छात्रों में चिंता की लहर दौड़ा दी है। इस फैसले की चौतरफा आलोचना हो रही है, खासकर भारत में, जहां से सैकड़ों छात्र हर साल हार्वर्ड जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में शिक्षा ग्रहण करने जाते हैं। आम आदमी पार्टी (AAP) के सांसद और हार्वर्ड के पूर्व छात्र राघव चड्ढा ने इस फैसले की कड़ी निंदा की है और इसे ‘अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के सपनों और भविष्य पर सीधा हमला’ बताया है।

राघव चड्ढा बोले – “शैक्षणिक स्वतंत्रता पर हमला”

राघव चड्ढा ने सोशल मीडिया पर कहा,

“राष्ट्रपति ट्रंप के हालिया कदम से हार्वर्ड और उसके बाहर के अंतरराष्ट्रीय छात्रों के सपने और भविष्य को खतरा है। मैं @हार्वर्ड और उन सभी छात्रों के साथ खड़ा हूं जिनकी शिक्षा और करियर आज अनिश्चितता के दौर से गुजर रहे हैं। हमें शैक्षणिक स्वतंत्रता और वैश्विक सहयोग की रक्षा करनी चाहिए।”

चड्ढा ने यह भी कहा कि शिक्षा का अधिकार सीमाओं से परे होना चाहिए और राजनीतिक फैसलों की भेंट नहीं चढ़ना चाहिए।

क्या है मामला?

अमेरिकी डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी (DHS) ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की विदेशी छात्रों को दाखिला देने की पात्रता तत्काल प्रभाव से रद्द कर दी है। DHS सचिव क्रिस्टी नोएम ने विश्वविद्यालय पर संघीय कानून के बार-बार उल्लंघन का आरोप लगाया है और कहा कि अंतरराष्ट्रीय छात्रों को दाखिला देना कोई अधिकार नहीं बल्कि विशेषाधिकार है, जिसे हार्वर्ड खो चुका है।

इस फैसले से हार्वर्ड में पढ़ रहे करीब 6,800 विदेशी छात्रों, जिनमें 788 भारतीय छात्र और शोधकर्ता भी शामिल हैं, का भविष्य अधर में लटक गया है।

हार्वर्ड की प्रतिक्रिया: ‘गैरकानूनी और अनुचित फैसला’

हार्वर्ड विश्वविद्यालय ने इस कदम की आलोचना करते हुए इसे गैरकानूनी, अनुचित और शिक्षा के मूलभूत सिद्धांतों के विरुद्ध बताया है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस फैसले के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की घोषणा की है और अस्थायी निरोधक आदेश प्राप्त करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं।

भारतीय छात्रों में बढ़ी चिंता

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में अध्ययनरत भारतीय छात्रों में इस फैसले को लेकर गहरी चिंता है। छात्र अपने भविष्य को लेकर असमंजस में हैं और उन्हें डर है कि अगर यह फैसला पलटा नहीं गया तो उन्हें अमेरिका छोड़ना पड़ सकता है या अपनी पढ़ाई अधूरी छोड़नी पड़ सकती है।

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