नई दिल्ली,19 मई : भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव और हाल ही में भारतीय सेना द्वारा की गई निर्णायक कार्रवाई ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर आज एक अहम बैठक होने जा रही है। विदेश सचिव विक्रम मिसरी विदेश मामलों की संसदीय स्थायी समिति के समक्ष इस पूरे घटनाक्रम की विस्तृत जानकारी देंगे। इस बैठक की अध्यक्षता वरिष्ठ कांग्रेस नेता शशि थरूर कर रहे हैं।
सूत्रों के मुताबिक, बैठक में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के राजनयिक, सैन्य और क्षेत्रीय प्रभावों पर चर्चा होगी। यह बैठक ऐसे समय हो रही है जब पहलगाम आतंकी हमले के बाद दोनों देशों के बीच तनाव अपने चरम पर है। इस हमले में कई निर्दोष नागरिक मारे गए थे, जिसके बाद भारत ने सख्त कदम उठाते हुए सीमा पार आतंकी ठिकानों पर हमला बोला।
क्या है ऑपरेशन सिंदूर?
‘ऑपरेशन सिंदूर’ भारतीय सेना द्वारा सीमा पार आतंकियों के ठिकानों को निशाना बनाकर की गई एक सर्जिकल स्ट्राइक शैली की कार्रवाई थी। इस ऑपरेशन में भारतीय वायुसेना और थलसेना ने संयुक्त रूप से कई लक्ष्यों को नष्ट किया। इसके परिणामस्वरूप दोनों देशों के बीच कई दिनों तक सैन्य तनाव बना रहा। अंततः, 10 मई को एक अस्थायी युद्धविराम पर सहमति बनी।
विक्रम मिसरी की रणनीतिक ब्रीफिंग
विक्रम मिसरी की ब्रीफिंग में इस बात पर प्रकाश डाला जाएगा कि भारत बदलते वैश्विक और क्षेत्रीय सुरक्षा परिदृश्य के बीच अपनी विदेश नीति को कैसे पुनर्गठित कर रहा है। विशेष रूप से पाकिस्तान के साथ भारत के कूटनीतिक रिश्तों और सीमा पार सुरक्षा चुनौतियों को लेकर रणनीतिक दृष्टिकोण साझा किया जाएगा।
भारत-पाक रिश्तों की जटिलता पर होगा मंथन
मिसरी इस बैठक में भारत-पाक संबंधों की पेचीदगी, सैन्य सतर्कता की अनिवार्यता और क्षेत्रीय स्थिरता के मुद्दों पर विस्तृत चर्चा करेंगे। पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को समर्थन देने की नीति को लेकर भारत की चिंताओं पर भी रोशनी डाली जाएगी।
दूसरी बड़ी बैठक: जल संसाधन समिति
इसी दिन बीजेपी सांसद राजीव प्रताप रूडी की अध्यक्षता में जल संसाधन समिति की भी अहम बैठक होगी। इसमें मानसून, बाढ़ नियंत्रण, नदी तट संरक्षण और सीमा पार नदियों से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की जाएगी।
क्यों है यह बैठक महत्वपूर्ण?
भारत-पाकिस्तान के मौजूदा तनावपूर्ण माहौल में यह ब्रीफिंग बेहद अहम मानी जा रही है। भारत के लिए यह एक अवसर है जहां वह आंतरिक सुरक्षा, सीमापार नीति और वैश्विक रणनीतिक संतुलन पर अपनी स्थिति को स्पष्ट कर सकता है। आने वाले दिनों में इस बैठक के निष्कर्ष भारत की विदेश नीति की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभा सकते हैं।