पिथौरागढ़, उत्तराखंड | 14 मई 2025 : उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में एक चौंकाने वाली लेकिन दिलचस्प स्थिति सामने आई है, जहां एक दंपती को अपनी 14 साल पुरानी शादी का कार्ड दोबारा छपवाना पड़ा। 2010 में विवाह के बंधन में बंधे प्रदीप तिवारी और दीपिका के दो बेटियां हैं, लेकिन अब उन्हें फिर से शादी का कार्ड छपवाकर लोगों को देना पड़ा — वजह है राज्य में हाल ही में लागू हुई समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code – UCC)।
UCC के तहत अब 2010 के बाद हुई सभी शादियों का विवाह पंजीकरण अनिवार्य कर दिया गया है। इसके लिए विवाह का प्रमाण जरूरी है — जैसे पुराना शादी का कार्ड या शपथ पत्र। चूंकि प्रदीप और दीपिका के पास पुराना कार्ड नहीं था, उन्होंने बैक डेट में नया कार्ड छपवाया और उसे विवाह रजिस्ट्रेशन के लिए प्रस्तुत किया।
शपथ पत्र नहीं, कार्ड बना पहली पसंद
शादी के पंजीकरण के लिए शपथ पत्र भी विकल्प है, लेकिन अधिकतर लोग कार्ड को प्राथमिकता दे रहे हैं। कारण स्पष्ट हैं — शपथ पत्र की प्रक्रिया जटिल और समय लेने वाली होती है, जबकि कार्ड छपवाना आसान और परंपरागत तरीका है। साथ ही, रजिस्ट्रेशन अधिकारियों द्वारा कार्ड को एक भरोसेमंद प्रमाण के रूप में स्वीकार किया जा रहा है।
CSC पर उमड़ी भीड़, नई सेवा भी शुरू
कॉमन सर्विस सेंटरों (CSC) पर विवाह पंजीकरण करवाने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ रही है। कई सेंटर अब कार्ड डिजाइन, पंडित की पुष्टि और गवाह व्यवस्था तक की सुविधा प्रदान कर रहे हैं, जिससे लोगों को अतिरिक्त शुल्क देना पड़ रहा है।
UCC पोर्टल पर अब तक 1.33 लाख से अधिक विवाह पंजीकरण दर्ज हो चुके हैं, लेकिन सरकारी कर्मचारियों की भागीदारी कम होने पर प्रशासन ने चिंता जताई है। यह घटनाक्रम दर्शाता है कि कैसे एक नया कानून दस्तावेजी जागरूकता और सामाजिक बदलाव ला रहा है।