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अकाली दल-भाजपा गठबंधन पर सियासी हलचल: भूंदड़ के बयान से बढ़ी नजदीकियों की अटकलें, 2027 के लिए बन सकती है नई रणनीति

अकाली दल-भाजपा गठबंधन पर सियासी हलचल: भूंदड़ के बयान से बढ़ी नजदीकियों की अटकलें, 2027 के लिए बन सकती है नई रणनीति

चंडीगढ़ | 15 जून 2025
पंजाब की राजनीति में एक बार फिर गर्माहट आ गई है। शिरोमणि अकाली दल (SAD) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बीच संभावित गठबंधन को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। इसकी वजह बना है SAD के कार्यकारी प्रधान बलविंदर सिंह भूंदड़ का ताजा बयान, जिसमें उन्होंने कहा है कि अगर पंजाब के अहम मसले हल होते हैं तो भाजपा के साथ गठबंधन पर “विचार किया जा सकता है।”

भूंदड़ ने साफ शब्दों में कहा कि अगर गठबंधन होता है, तो अकाली दल उसमें बड़े भाई की भूमिका में रहेगा। उनका यह बयान ऐसे समय आया है जब राज्य में 2027 में विधानसभा चुनाव होने हैं और दोनों दलों ने 2022 और 2024 के चुनावों में अलग-अलग लड़कर कमजोर प्रदर्शन किया है।

गठबंधन के लिए रखी गईं शर्तें

भूंदड़ ने स्पष्ट किया कि गठबंधन सिर्फ “वोट प्रतिशत” के हिसाब से नहीं, बल्कि “सिद्धांतों और मुद्दों” के आधार पर होना चाहिए। उन्होंने पंजाब के लिए प्रमुख मुद्दे गिनाए:

  • राज्य के जल संसाधनों का समाधान

  • बंदी सिखों की रिहाई

  • मजबूत फेडरल सिस्टम

  • भारत-पाक सीमा खोलने का मसला

  • पंजाब के युवाओं की फौज में भर्ती

उन्होंने कहा कि अगर भाजपा इन मुद्दों पर गंभीरता से काम करती है, तो SAD गठबंधन पर विचार करेगा।

भाजपा की प्रतिक्रिया: “अब हम पहले जैसे नहीं”

भाजपा नेता एसएस चन्नी ने भूंदड़ के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि “अब भाजपा पहले जैसी नहीं रही।” उन्होंने कहा कि भाजपा अब राज्य की सभी सीटों पर चुनाव लड़ने का अनुभव रखती है और चाहे गठबंधन हो या न हो, पार्टी पंजाब के मुद्दों को सुलझाने में सक्रिय है।

2022 और 2024: अलग-अलग लड़े, कमजोर रहे नतीजे

किसान आंदोलन के बाद 2020 में दोनों दलों के रिश्ते बिगड़े और 2022 के विधानसभा चुनावों में SAD को केवल 3 सीटें और भाजपा को 2 सीटें मिलीं। 2024 के लोकसभा चुनावों में भी दोनों दलों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा। SAD केवल बठिंडा सीट जीत सका, जहां से हरसिमरत कौर बादल ने जीत दर्ज की। भाजपा को कोई सीट नहीं मिली, हालांकि उसका वोट प्रतिशत बढ़कर 18% हो गया।

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अगर दोनों दल 2024 में गठबंधन करते तो कम से कम 5 सीटें जीत सकते थे।

क्या 2027 में बदलेगी तस्वीर?

भाजपा और अकाली दल दोनों ही समझते हैं कि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के मुकाबले मजबूती पाने के लिए साथ आना एक व्यावहारिक रणनीति हो सकती है। भूंदड़ के बयान से यह साफ संकेत मिला है कि गठबंधन का रास्ता बंद नहीं है – बशर्ते भाजपा पंजाब की नब्ज समझकर ठोस पहल करे।

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