चंडीगढ़ | 11 जून 2025 : साइबर अपराधियों ने एक बार फिर तकनीक का खतरनाक इस्तेमाल करते हुए चंडीगढ़ की एक बुजुर्ग चीफ आर्किटेक्ट को अपने जाल में फंसा लिया। CBI अफसर और सुप्रीम कोर्ट जज बनने का नाटक कर ठगों ने महिला को “डिजिटल अरेस्ट” का डर दिखाया और ₹2.5 करोड़ ठग लिए। अब इस मामले में उत्तर प्रदेश से तीन आरोपियों की गिरफ्तारी हुई है।
मामले की पूरी कहानी
चंडीगढ़ के सेक्टर-10 की रहने वाली एक वरिष्ठ महिला आर्किटेक्ट के पास 3 मई 2025 को एक अज्ञात कॉल आया। कॉलर ने खुद को TRAI का अधिकारी बताते हुए दावा किया कि उनकी सिम का आतंकी गतिविधियों में इस्तेमाल हुआ है और उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज है।
इसके तुरंत बाद एक वीडियो कॉल आया जिसमें व्यक्ति ने खुद को पुलिस अधिकारी विजय खन्ना बताया और कहा कि उनके नाम पर दो गिरफ्तारी वारंट जारी हुए हैं, जो एक मनी लॉन्ड्रिंग केस से जुड़े हैं।
धोखे का खेल यहीं नहीं रुका — इसके बाद उन्हें फर्जी दस्तावेज दिखाए गए जिनमें DIG CBI राजीव रंजन और एक कथित सुप्रीम कोर्ट जज के नाम शामिल थे। कहा गया कि अगर वे अपनी निर्दोषता साबित करना चाहती हैं, तो उन्हें “जांच के लिए” ₹2.5 करोड़ ट्रांसफर करने होंगे। महिला डर और भ्रम में आकर इतनी बड़ी रकम विभिन्न फर्जी खातों में भेज चुकी थीं।
तीन मुख्य आरोपी गिरफ्तार – यूपी में छापेमारी
साइबर सेल प्रभारी इंस्पेक्टर इरम रिजवी की अगुवाई में पुलिस ने मामले की तेजी से जांच की और हाथरस, आगरा और सहारनपुर में छापेमारी कर तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया:
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धर्मेंद्र सिंह (28) – हाथरस निवासी
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राम किसन उर्फ रामू (36) – आगरा निवासी
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साकिब (24) – बुधनपुर, सहारनपुर निवासी
साकिब ने कबूला कि उसने अपने नाम पर फर्म और बैंक खाता खोला और उसे अपने साले व अन्य साथियों को फर्जी लेन-देन के लिए इस्तेमाल करने दिया, जिसके बदले में उसे 10% कमीशन मिलता था।
डिजिटल अरेस्ट: नया साइबर फ्रॉड फॉर्मूला – 3 स्टेप में समझें
1️⃣ पहला डर: सिम के दुरुपयोग और FIR का हवाला देकर कॉल की गई।
2️⃣ दूसरा दबाव: व्हाट्सऐप वीडियो कॉल पर गिरफ्तारी वारंट की धमकी और मनी लॉन्ड्रिंग केस में फंसाने की बात।
3️⃣ तीसरा धोखा: CBI अधिकारी और SC जज की पहचान बनाकर महिला को गुमराह किया और फर्जी खातों में पैसा जमा करवाया।
देशभर में फैला ठगी नेटवर्क
पुलिस जांच में यह सामने आया है कि इन ठगों ने भारत के कई राज्यों से बैंक खाते खुलवाए और वर्चुअल नंबर का इस्तेमाल किया। जांच के लिए KYC रिकॉर्ड, कॉल डिटेल्स (CDR), IP ट्रेसिंग और अकाउंट वेरिफिकेशन जैसे तकनीकी तरीकों का उपयोग किया गया।