पंजाबी म्यूजिक इंडस्ट्री के दिग्गज और देश-विदेश में मशहूर सिंगर गुरदास मान के परिवार में शोक की लहर है। उनके छोटे भाई गुरपंथ मान का सोमवार शाम 5 बजे मोहाली के फोर्टिस अस्पताल में निधन हो गया। वह पिछले दो महीने से किडनी संबंधी बीमारी से पीड़ित थे और इलाज के दौरान ही पैरालिसिस का शिकार भी हो गए थे।
मंगलवार को चंडीगढ़ में होगा अंतिम संस्कार
68 वर्षीय गुरपंथ मान मूल रूप से पंजाब के गिदड़बाहा कस्बे के रहने वाले थे। उनके पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार मंगलवार को चंडीगढ़ में किया जाएगा। परिवार के करीबी सूत्रों के मुताबिक, कुछ दिन पहले उनकी तबीयत में सुधार होने पर उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी। लेकिन सोमवार को अचानक तबीयत बिगड़ी और उन्हें दोबारा अस्पताल लाया गया, जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।
परिवार में पसरा मातम
गुरपंथ मान अपने पीछे पत्नी, बेटा गुरनियाज और बेटी गुड्डू को छोड़ गए हैं। बेटा इन दिनों भारत में ही है, लेकिन बेटी 10 दिन पहले ही कनाडा लौट गई थी। बेटी को जानकारी दे दी गई है और संभावना है कि वह फ्लाइट लेकर अंतिम संस्कार में शामिल हो जाएगी। गुरपंथ मान गिदड़बाहा में ही अपनी पत्नी के साथ रहते थे, जबकि उनके बच्चे विदेश में बसे हुए हैं।
संगीत से था गहरा नाता, गुरदास मान के साथ बजाते थे मेंडोलिन
गुरपंथ मान का संगीत से भी गहरा नाता रहा है। वह 1990 तक गुरदास मान के साथ काम करते थे और मेंडोलिन बजाते थे। इसके बाद उन्होंने अपने गृहनगर गिदड़बाहा में एक दुकान शुरू कर दी थी और खेतीबाड़ी भी करने लगे थे। परिवार के करीबी एडवोकेट गुरमीत मान ने बताया कि गुरपंथ मान का स्वभाव बेहद मिलनसार था और वे हमेशा मुस्कराते रहते थे।
गुरदास मान के जीवन से जुड़े कुछ खास पल
2001 में बाल-बाल बचे थे गुरदास मान
साल 2001 में गुरदास मान एक गंभीर सड़क हादसे में बाल-बाल बचे थे। रोपड़ के पास यह दुर्घटना उस वक्त हुई जब वह एक लाइव परफॉर्मेंस से लौट रहे थे। उनकी कार एक बस से टकरा गई थी, जिसमें उनके ड्राइवर की मौत हो गई थी। लेकिन गुरदास मान सीटबेल्ट पहने होने के कारण बच गए। उन्होंने इसे गुरु नानक देव जी की कृपा बताया था।
2016 में मां का हुआ था निधन
2016 में गुरदास मान को एक और गहरा सदमा झेलना पड़ा था, जब उनकी मां तेज कौर का 86 वर्ष की उम्र में निधन हो गया था। मां की मौत के बाद उन्होंने कहा था, “मां का जाना संसार का सबसे बड़ा दुख होता है, मेरी तो यही दुआ है कि किसी से उसकी मां का दामन कभी न छूटे।”