हरियाणा सरकार ने शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता लाने और राइट टू एजुकेशन (RTE) कानून के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए बड़ा कदम उठाया है। राज्य के 1680 गैर मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों पर शिकंजा कसते हुए उनका मैनेजमेंट इनफार्मेशन सिस्टम (MIS) पोर्टल बंद कर दिया गया है। इससे अब ये स्कूल किसी भी नए छात्र का दाखिला नहीं कर पाएंगे।
क्यों हुई कार्रवाई?
शिक्षा विभाग ने प्रदेश के 10744 निजी स्कूलों से RTE के तहत खाली सीटों की जानकारी मांगी थी। इनमें से 9064 स्कूलों ने सूचना दी, जबकि 1680 स्कूलों ने जानबूझकर जानकारी देने से इनकार कर दिया या लापरवाही बरती, जिसके चलते ये विभागीय कार्रवाई की जद में आ गए।
अब इन स्कूलों के नाम MIS पोर्टल से पूरी तरह हटा दिए जाएंगे, जिससे ये स्कूल भविष्य में किसी भी तरह का शैक्षणिक या प्रशासनिक कार्य नहीं कर सकेंगे।
छात्रों को मिलेगा मौका
इन स्कूलों में पहले से पढ़ रहे छात्रों को स्कूल लिविंग सर्टिफिकेट (SLC) जारी किया जा रहा है, ताकि वे मान्यता प्राप्त अन्य स्कूलों में बिना किसी बाधा के दाखिला ले सकें। सरकार ने स्पष्ट किया है कि बच्चों की पढ़ाई प्रभावित नहीं होने दी जाएगी।
मान्यता की वेरिफिकेशन प्रक्रिया जारी
विभाग ने स्कूलों से उनके मान्यता संबंधी दस्तावेज भी मंगवाए थे। अब तक 6905 स्कूलों की वेरिफिकेशन पूरी हो चुकी है, जो कुल का 76.18% हिस्सा है। बाकी 2159 स्कूलों का सत्यापन कार्य तेजी से जारी है।
DEEO पर नजर
शिक्षा विभाग ने वेरिफिकेशन की जिम्मेदारी जिला प्राथमिक शिक्षा अधिकारियों (DEEO) को सौंपी थी। 8 जून की डेडलाइन के बावजूद काम पूरा न होने पर अब विभाग सख्त हो गया है। लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई तय मानी जा रही है।
दस्तावेजों में गड़बड़ी तो होगी कार्रवाई
यदि वेरिफिकेशन के दौरान किसी स्कूल के दस्तावेजों में गड़बड़ी मिलती है, तो ऐसे स्कूलों को भी गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों की श्रेणी में डाल दिया जाएगा और उनके खिलाफ भी कार्रवाई होगी।