नई दिल्ली, 2 जून 2025 – भारत ने विमानन क्षेत्र में एक और ऐतिहासिक मील का पत्थर पार कर लिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (IATA) की 81वीं वार्षिक आम बैठक में घोषणा की कि भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा घरेलू उड्डयन बाजार बन चुका है। यह बैठक चार दशकों बाद भारत में आयोजित हुई और विमानन क्षेत्र में भारत की उपलब्धियों और भविष्य की संभावनाओं का केंद्र बिंदु बन गई।
उड्डयन क्षेत्र में ऐतिहासिक बदलाव
पीएम मोदी ने कहा, “भारत ने पिछले कुछ सालों में नागरिक उड्डयन क्षेत्र में अभूतपूर्व बदलाव देखे हैं। UDAN योजना के माध्यम से हवाई यात्रा को आम आदमी के लिए सुलभ और किफायती बनाया गया है। अब तक 1.5 करोड़ से अधिक लोग इस योजना से लाभान्वित हो चुके हैं।”
तेजी से बढ़ता यात्री आधार
उन्होंने बताया कि वर्तमान में भारत में हर साल लगभग 240 मिलियन लोग हवाई यात्रा करते हैं, और यह संख्या 2030 तक 500 मिलियन तक पहुंचने की संभावना है। 2014 तक भारत में जहां केवल 74 एयरपोर्ट थे, वहीं अब यह संख्या बढ़कर 162 हो चुकी है। इसके साथ ही भारतीय एयरलाइंस द्वारा 2000 से अधिक विमानों के ऑर्डर दिए जा चुके हैं – जो विमानन क्षेत्र में एक नई क्रांति की ओर इशारा करता है।
अंतरिक्ष की ओर कदम
प्रधानमंत्री ने भारत के विमानन भविष्य की एक झलक भी दी। उन्होंने कहा, “अब हमारी नजर सिर्फ धरती के शहरों तक ही नहीं, बल्कि अंतरिक्ष उड़ानों और अंतरग्रहीय यात्राओं पर भी है। आने वाला दशक भारत के लिए इनोवेशन और एयर स्पेस में एक नया अध्याय होगा।”
तीन स्तंभों पर टिकेगा भारत का विमानन भविष्य
पीएम मोदी ने तीन प्रमुख स्तंभों को रेखांकित किया जिनके बलबूते भारत का विमानन क्षेत्र नई ऊंचाइयों को छुएगा:
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बाजार: विशाल और तेजी से विकसित होता उपभोक्ता वर्ग
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प्रौद्योगिकी और नवाचार: भारतीय युवाओं द्वारा एआई, रोबोटिक्स और ग्रीन एनर्जी में बढ़ती सफलता
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सहायक नीति ढांचा: उद्योग के अनुकूल सरकारी नीतियां और GIFT सिटी जैसे केंद्रों से मिलने वाले प्रोत्साहन
वैश्विक नेतृत्व की ओर बढ़ता भारत
सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी ने वैश्विक विमानन समुदाय को भारत में निवेश और सहयोग के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने कहा, “भारत केवल एक बाजार नहीं, बल्कि एक साझेदार भी है जो वैश्विक विमानन के भविष्य को दिशा देगा।”
IATA सम्मेलन में भारत की मेज़बानी और पीएम मोदी के विजन ने यह स्पष्ट कर दिया है कि आने वाले वर्षों में भारत न केवल विमानन बाजार का नेतृत्व करेगा, बल्कि वैश्विक नवाचार और सहयोग का भी केंद्र बनेगा।