चंडीगढ़, 22 मई। हरियाणा पुलिस ने मानवाधिकारों की रक्षा और मानवीय सेवा के क्षेत्र में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। गुमशुदा बच्चों और व्यक्तियों की सकुशल वापसी के मामले में पुलिस की सतर्कता, संवेदनशीलता और तकनीकी दक्षता ने न केवल राज्य को गौरवान्वित किया है, बल्कि यह एक राष्ट्रीय मॉडल के रूप में भी उभर रही है।
हर शिकायत पर दर्ज होती है एफआईआर, 80% तक रिकवरी दर
हरियाणा पुलिस की खास बात यह है कि गुमशुदगी की हर शिकायत पर 100% एफआईआर दर्ज की जाती है, जो अन्य राज्यों के लिए अनुकरणीय है। वर्ष 2025 की पहली तिमाही में कुल 4361 मामलों में से 3406 गुमशुदा लोगों को वापस लाया गया, जो कि 78.1% रिकवरी दर है।
महिला व बाल अपराधों में उच्च रिकवरी दर
पुलिस ने IPC की धाराओं 363, 366 और 366A (अपहरण और महिला/बाल अपराध) के तहत मामलों में क्रमशः 79.73%, 78.98% और 73.38% रिकवरी दर हासिल की। यह साबित करता है कि महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा को लेकर हरियाणा पुलिस सतर्क और संवेदनशील है।
20 साल पुराने गुमशुदा लोगों को भी मिलवाया परिवारों से
पुलिस की एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट (AHTU) ने 20 साल से अधिक समय से लापता 44 व्यक्तियों को उनके परिवारों से मिलवाकर असंभव को संभव कर दिखाया। इसके अलावा,
16 साल से अधिक समय से लापता 22 लोग
11 साल से अधिक समय से लापता 47 लोग
6 साल से अधिक समय से लापता 54 लोग भी परिवारों से मिल चुके हैं।
डीजीपी बोले – “हर वापसी सिर्फ केस क्लोज नहीं, एक परिवार की पूर्णता है”
हरियाणा के डीजीपी शत्रुजीत कपूर ने कहा, “हर गुमशुदा व्यक्ति की वापसी सिर्फ एक केस का समाधान नहीं होता, बल्कि एक टूटे परिवार को फिर से जोड़ने का प्रयास होता है।”
अन्य राज्यों के लिए मॉडल बना हरियाणा
हरियाणा पुलिस की यह कार्यप्रणाली केवल कानून व्यवस्था तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक सामाजिक पुनर्स्थापन का आदर्श उदाहरण है। विवेकपूर्ण जांच, समयबद्ध कार्रवाई, तकनीकी टूल्स और पीड़ित-केंद्रित दृष्टिकोण ने पुलिस को जनता का विश्वास पात्र बना दिया है।