नई दिल्ली, 5 मई – वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अब 15 मई को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। मौजूदा प्रधान न्यायाधीश (CJI) संजीत खन्ना ने इस मामले से खुद को अलग कर लिया है। उन्होंने कहा कि वे 13 मई को रिटायर हो रहे हैं और इससे पहले कोई अंतरिम आदेश पारित नहीं करेंगे। अब इस बहुचर्चित मामले की सुनवाई भारत के अगले CJI जस्टिस भूषण गवई की अध्यक्षता वाली पीठ करेगी।
क्या है मामला?
5 अप्रैल को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद केंद्र सरकार ने वक्फ संशोधन अधिनियम, 2025 को अधिसूचित किया था। लोकसभा में यह विधेयक 288 के समर्थन और 232 के विरोध में पारित हुआ, जबकि राज्यसभा में 128 समर्थन और 95 विरोध में वोट पड़े। इसके बाद से ही यह कानून विवादों में घिरा हुआ है।
मुस्लिम संगठनों और विपक्ष की आपत्ति
कई मुस्लिम संगठनों, गैर-सरकारी संस्थाओं (NGOs) और विपक्षी राजनीतिक दलों ने इस अधिनियम को संविधान विरोधी और अल्पसंख्यक अधिकारों के उल्लंघन वाला बताया है। उनका आरोप है कि यह कानून वक्फ संपत्तियों पर राज्य के नियंत्रण को बढ़ाता है और समुदाय की स्वायत्तता पर चोट करता है।
CJI संजीव खन्ना की टिप्पणी
सुनवाई के दौरान CJI खन्ना ने कहा, “यह संवेदनशील और महत्वपूर्ण मामला है। मैं इसमें कोई अंतरिम आदेश नहीं देना चाहता। बेहतर होगा कि इस पर विस्तृत सुनवाई नए CJI की अध्यक्षता में हो।”
जस्टिस गवई होंगे देश के दूसरे दलित CJI
जस्टिस भूषण गवई, जो अब इस मामले की सुनवाई करेंगे, 13 मई को CJI पद ग्रहण करेंगे। उनका कार्यकाल छह महीने दस दिन का होगा और वे 23 नवंबर 2025 को रिटायर होंगे। वे भारत के दूसरे दलित CJI होंगे, जिससे इस मामले को लेकर न्यायपालिका के दृष्टिकोण पर भी व्यापक नजर टिकी रहेगी।