नई दिल्ली, 17 अप्रैल: वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 को लेकर देश में जारी बहस और विरोध के बीच सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को इस मुद्दे पर अहम हस्तक्षेप किया है। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अगुवाई वाली बेंच ने केंद्र सरकार को 7 दिन में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि अगली सुनवाई तक वक्फ संपत्ति की यथास्थिति बनी रहेगी और नई नियुक्तियां नहीं होंगी।
सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने केंद्र की ओर से कहा कि “स्टे लगाने का कोई आधार नहीं है”, लेकिन कोर्ट ने संतुलित रुख अपनाते हुए अंतरिम राहत दी और सभी पक्षों को पांच मुख्य आपत्तियों पर फोकस करने को कहा।
क्या है मामला?
संसद से 4 अप्रैल को पारित वक्फ संशोधन अधिनियम को राष्ट्रपति ने 5 अप्रैल को मंजूरी दी थी और 8 अप्रैल से इसे लागू भी कर दिया गया। इसके बाद देशभर में इस कानून के खिलाफ विरोध तेज हो गया, खासतौर पर पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हिंसक प्रदर्शन देखने को मिले।
अब तक इस कानून के खिलाफ 70 से अधिक याचिकाएं दाखिल हो चुकी हैं, जिनमें कांग्रेस, AAP, DMK, CPI और मुस्लिम संगठनों के नेता शामिल हैं। वहीं बीजेपी शासित सात राज्यों ने इसके समर्थन में याचिकाएं दी हैं।
अब आगे क्या?
अगली सुनवाई 5 मई को होगी। कोर्ट ने कहा है कि सुनवाई केवल पांच मुख्य बिंदुओं पर केंद्रित रहेगी ताकि मामले को प्रभावी और शीघ्र निपटाया जा सके।